शान्त हूँ सागर सी कभी कभी लहरों सी उद्दण्ड हो जाती हूँ शान्त हूँ सागर सी कभी कभी लहरों सी उद्दण्ड हो जाती हूँ
रिश्ते-नाते भी टूट गये अब बेरोजगार हमरे होने से। रिश्ते-नाते भी टूट गये अब बेरोजगार हमरे होने से।
ज़िन्दगी कुल मिलाकर सिर्फ सिक्कों की एक पोटली है न जाने कब खर्च हो जातें हैं राहों में चलते चलते ज़िन्दगी कुल मिलाकर सिर्फ सिक्कों की एक पोटली है न जाने कब खर्च हो जातें हैं र...
सूरज जगता है तो सब जग जगता है... रश्मिरथी की किरणों से ही सबकुछ काज शुरु होता है... सूरज जगता है तो सब जग जगता है... रश्मिरथी की किरणों से ही सबकुछ काज शुरु होता है...
एक छोटा सा बीज एक दिन, पेड़ बना विशाल। छोटी छोटी बातें भी, करती कभी कमाल। एक छोटा सा बीज एक दिन, पेड़ बना विशाल। छोटी छोटी बातें भी, करती कभी कमाल।
तुम, आ रही हो ना कविता अपनी पूर्णता के साथ मेरे भीतर... आ जाओ मैंने खोल दिए हैं सारे कपाट। तुम, आ रही हो ना कविता अपनी पूर्णता के साथ मेरे भीतर... आ जाओ मैंने खोल दिए हैं ...